Images of michelangelo buonarroti biography in hindi

माइकल एंजेलो

माइकल एंजेलो (माइकल एंजेलो डि लोडोविको बुआना रोत्ती, १४७५-१५३४ ) एक इतालवी मूर्तिकार, चित्रकार, वास्तुकार और उच्च पुनर्जागरण युग के कवि थे जो फ्लोरेंस गणराज्य में पैदा हुए थे। उन्हौने पश्चिमी कला के विकास पर एक अद्वितीय प्रभाव डाला था।[1] उन्हें उनके जीवनकाल के दौरान सबसे महान जीवित कलाकार माना जाता था, उसके बाद से उन्हें सर्वकालीन महानतम कलाकारों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है।[1] उनकी कई विषयों मे बहुमुखी प्रतिभा बहुत उच्च स्तर की मानी जाती है, इसी कारण कला के क्षेत्र के बाहर कुछ ही प्रभाव होने पर भी वह अक्सर अपने प्रतिद्वंद्वी व साथी फ्लोरेंटाइन मेडिसि हितधारक, लियोनार्डो दा विंची, के साथ पुनर्जागरण युगी विचारकों के प्रमुख उदाहरण माने जाते है।

माइकल एंजेलो की चित्रकला, मूर्तिकला और वास्तुकला के क्षेत्रों मे कई कृतियां विश्व की प्रसिद्धतम रचनाओं मे गिनी जाती है। अपनी रुची के हर क्षेत्र में उनका योगदान विलक्षण था; बचा हुआ पत्राचार, नमूने, और संस्मरणो की संख्या को देखते हुए, वह १६ वीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ प्रलेखित कलाकार माने जाते है।

उन्हौने अपने दो सबसे प्रसिद्ध कार्यों, पिएटा और डेविड को, तीस वर्ष की आयु से पहले रूप दिया। चित्रकला को कम महत्व का मानने के बावजूद, माइकल एंजेलो ने पश्चिमी कला के इतिहास में दो सबसे प्रभावशाली भित्तिचित्रों का निर्माण किया: रोम में सिस्टिन चैपल की छत पर 'जेनेसीस' के दृश्य, और उसकी वेदी की दीवार पर 'दी लास्ट जजमेंट'। एक वास्तुकार के रूप में, माइकल एंजेलो ने लॉरेनटियन पुस्तकालय में मेनेरनिस्ट शैली का नेतृत्व किया।[2] ७४ साल की उम्र में, वह "सेंट पिटर्स बेसीलीस्क" के वास्तुकार के रूप में एंटोनियो दा संगलो द यंगर के उत्तराधिकारी बने। माइकल एंजेलो ने इस योजना को परिवर्तित कर दिया तथा पश्चिमी अंत उनके प्रारूप के रूप के अनुसार निर्मीत हो गया। गुंबद भी उनकी मृत्यु के बाद कुछ संशोधन के साथ निर्मीत हो गया।

माइकल एंजेलो पहले पश्चिमी कलाकार थे जिसकी जीवनी उनके जीवनकाल में ही प्रकाशित हुई। वास्तव में, उनके जीवनकाल में दो उनकी जीवनीयां प्रकाशित हुईं; उनमें से एक, जियोर्जियो वसारी द्वारा लिखी गयी मे प्रस्ताव दिया गया था कि मिकेलांजेलो का कार्य किसी भी अन्य मृत या जिवीत कलाकार से परे है और "केवल एक ही कला में नहीं बल्कि सभी तीनों में श्रेष्ठ" है।[3]

अपने जीवनकाल में,माइकल एंजेलो को अक्सर "अल डिविनो" (दिव्य व्यक्ति) कहा जाता था।[4] बाद के कलाकारों द्वारा माइकल एंजेलो की भावनात्मक और अत्यधिक व्यक्तिगत शैली की अनुकरण करने की कोशिश ने मेनेरनिस्म, उच्च पुनर्जागरण के बाद पश्चिमी कला में अगले प्रमुख आंदोलन,को जन्म दिया। [5]

जीवनकाल

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प्रारंभिक जीवन, १४७५–८८

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माइकल एंजेलो का जन्म ६ मार्च १४७५ को एरेज़ो, टस्कानी के पास कैपेरेस (वर्तमान नाम कैपेरेस माइकल एंजेलो) मे हुआ था।।[6] कई पीढ़ियों से, उनका परिवार फ्लोरेंस में एक छोटे बैंक का संचालन करता था। उस बैंक के विफल होने पर उनके पिता, लुडोविको डी लियोनार्डो बुोनारोतोसी सिमोनी, ने कुक्ष समय के लिये कैपेरेस में एक सरकारी पद ग्रहण किया, जहां माइकल एंजेलो का जन्म हुआ।[1] माइकल एंजेलो के जन्म के समय, उनके पिता कैपारेस के न्यायिक प्रशासक थे और चुएसी के स्थानीय प्रशासक थे। माइकल एंजेलो की मां फ्रांसिस्का डी नेरी डेल मिनीटो डी सिएना थी।[7] माइकलॅन्गेलो के जन्म के कई महीनों बाद उनका परिवार फ्लोरेंस लौट आया जहां उनका बचपन बीता। अपनी मां की लंबी बीमारी के दौरान और में उनकी मृत्यु के बाद माइकल एंजेलो एक आया और उसके पति के साथ सैटगिनो में रहने लगे जो की पत्थर गढ़ने का काम करते थे। सैटगिनो में ही उनके पिता की एक संगमरमर की खदान थी।[7] उन्ही दिनों मे माइकल एंजेलो को संगमरमर मे रुचि उत्पन्न हुई, जिसका जियोर्जियो वसारी उद्धरण देते है:

अगर मुझमें कुछ अच्छा है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं एरेज़ो के सुंदर वातावरण में में पैदा हुआ था। मेरी आया के दूध के साथ मुझे छेनी और हथौड़ा संभालने की आदत मिली, जिसके साथ मैं मूर्तियां बनाता हुं।[6]

प्रशिक्षुता, १४८८–९२

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एक युवा लड़के के रूप में, माइकल एंजेलो को फ्लोरेंस के मानवतावादी फ्रांसिस डा उरबिनो के तहत व्याकरण का अध्ययन करने के लिए भेजा गया था।[6][8] माइकल एंजेलो ने अपनी स्कूली शिक्षा में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तथा चर्चों से चित्रों को प्रतिलिपि करने और चित्रकारों की संगती की में रहना पसंद किया।

फ्लोरेंस शहर उस समय कला व अघ्ययन का इटली में सबसे बड़ा केंद्र और था।[9] कला को सिग्नेरिया (नगर परिषद) द्वारा, व्यापारी संगोष्ठियों द्वारा और मैसिसी व उनके बैंकिंग सहयोगियों जैसे अमीर संरक्षकों द्वारा प्रायोजित किया गया था।[10] शास्त्रीय छात्रवृत्ति और कला का एक नवीकरण,पुनर्जागरण, फ्लोरेंस में विकसीत हो रहा था।[9] माइकल एंजेलो के बचपन के दौरान, चित्रकारों का एक दल सिस्टिन चैपल की दीवारों को सजाने के लिए फ्लोरेंस से वेटिकन तक बुलाया गया था। फ्रैस्को चित्रकला, परिप्रेक्ष्य, आरेखण और चित्रकला में प्रविण डोमिनिको घिरंडैया भी उनमे थे, जो उस समय फ्लोरेंस में सबसे बड़ी कार्यशाला के स्वामी थे।[10]

१४८८ में, १३ वर्ष की उम्र में, वे ग्रिमंडदाओ के प्रशिक्षु बन गये।[11] अगले साल, उनके पिता ने ग्रिमंडदाओ को एक कलाकार के रूप में माइकल एंजेलो को भुगतान करने के लिए प्रेरित किया, जो एक चौदह वर्ष के कलाकार के लिए दुर्लभ था।[12] जब १४९८ में फ्लोरेंस के वास्तविक शासक लोरेन्ज़ो डी 'मेडिसि ने ग्रिमंडदाओ से अपने दो सबसे अच्छे विद्यार्थियों के लिए पुछा तो ग्रिमंडदाओ ने माइकल एंजेलो और फ्रांसेस्को ग्रेनाची को भेज दिया।[13] १४९० से १४९२ तक माइकल एंजेलो ने ह्यूमन अकादमी में भाग लिया जिसे कि मेडिसी ने नव-प्लेटोनिक की तर्ज पर स्थापित किया था। अकादमी में, माइकल एंजेलो के दृष्टिकोण और उनकी कला दोनों मार्सिलियो फासीनो, पिको डेला मिरांडाला और पोलीज़ियानो सहित कई समकालीन दार्शनिकों और लेखकों से प्रभावित हुए।[14] इन्ही दिनों मे माइकल एंजेलो ने "मेडोना अॉफ द स्टेप्स" व " बॅटल ऑफ द सेनटौर्स" को गढा।[15]

बोलोना, फ्लॉरेन्स व रोम, १४९२–९९

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८ अप्रैल १४९२ को लोरेन्ज़ो डी 'मेडिसी की मृत्यु के बाद माइकल एंजेलो मेडिसी राजसभा को छोडकर अपने पिता के घर लौट आये।[16] १४९३ और १४९९ के बीच उन्होंने संगमरमर का एक खंड खरीदा व रोमन नायक हरक्यूलिस की प्रतिमा गढी, जिसे फ्रांस भेजा गया।[17] २० जनवरी १४९४ को, भारी बर्फबारी के बाद, लोरेन्ज़ो के वारिस, पिएरो डी मेडिसी ने एक बर्फ की मूर्ति को बनाने का आदेश दिया। इस मूर्ति को बनाने के लिए माइकल एंजेलो मेडिसी राजसभा मे वापस आये।

उसी वर्ष, गिरोलामो सावोनारोला के बढते प्रभुत्व के परिणामस्वरूप मेडिसी को फ्लोरेंस से निष्कासित कर दिया गया था। माइकल एंजेलो ने राजनीतिक उथल-पुथल के अंत से पहले शहर छोड़ दिया और पहले वेनिस फिर बोलोना चले गए।[16] बोलोना मे उन्हे सेंट डोमिनिक की समाधि को पुर्ण करने के लिये कई छोटी-छोटी मुर्तीयां बनाने का काम सौंपा गया। के अंत तक फ्लोरेंस की राजनीतिक स्थिति शांत हो चुकी थी। माइकल एंजेलो फ्लोरेंस लौट आए, लेकिन सावोनारोला की सरकार से उन्हे कोई नया कार्य नहीं मिला और वे मेडिसी के दोबारा लिये काम करने लगे। इस दौरान उन्होने "सेंट जॉन दी बापटिस्ट" व सोते हुए "क्युपिड" नाम की दो मुर्तियों का निर्माण किया। लोरेन्ज़ो ने माइकल एंजेलो से "सेंट जॉन दी बापटिस्ट" को इस तरह से बनाने के लिये कहा की मुर्ती पुरानी लगे ताकि वह उसे रोम मे प्राचीन प्राचीन कला के नाम से बेच सके। मुर्ती के ग्राहक रैफैले रियारियो को मुर्ती के नकली होने का पता चलने पर उसने माइकल एंजेलो की रचना से प्रभावित हो कर उन्है रोम आमंत्रित किया।[18]

माइकल एंजेलो २५ जून १४९6 को २१ साल की उम्र में रोम पहुंचे। उसी वर्ष ४ जुलाई को, उन्होंने रैफैले रियारियो के लिए एक आयोग पर काम करना शुरू कर दिया, जो रोमन वाइन ईश्वर बैकस की एक बढी मूर्ति थी।

नवंबर १४९७ मे जीन डी बिलहेरेस-लग्रुलास ने उन्हे "पिएटा" के निर्माण का कार्य सौंपा। "पिएटा" मे "वर्जिन मेरी" को यीशु के शव के सामने शोक मनाते हुऐ दिखाया गया है। माइकल एंजेलो "पिएटा" के निर्मीत होने पर २४ वर्ष की आयु के थे।[19] इसे शीघ्र ही मूर्तिकला की दुनिया की महान कृतियों में से एक माना जाने लगा। वसारी ने समकालीन राय को संक्षेप में प्रस्तुत किया:

यह निश्चित रूप से एक चमत्कार है कि पत्थर के एक निराकार खंड को पूर्णता का वह स्तर दिया जा सकता है जो कि प्रकृति भी शायद ही कभी शरीर में पैदा करने में सक्षम है।[20]

यह अब "सेंट पीटर की बेसिलिका" में स्थित है।

फ्लॉरेन्स, १४९९–१५०५

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माइकल एंजेलो १४९९ में फ्लोरेंस वापस आ गए। ४० साल पहले एगोस्टिनो डी ड्यूसियो द्वारा शुरू हुई अधूरी परियोजना को पूरा करने के लिए माइकल एंजेलो को गिल्ड ऑफ़ वूल द्वारा कहा गया था इस परियोजना मे डेविड की विशाल मूर्ति को फ्लॉरेन्स कैथेड्रल के सामने फ्लोरेंटाइन स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप मे स्थापित किया जाना था।[21] माइकल एंजेलो ने १५०४ में अपने सबसे प्रसिद्ध काम, डेविड की प्रतिमा को पूरा करके स्वयं को निश्चित रूप से असाधारण तकनीकी कौशल और प्रतीकात्मक कल्पना वाले के मूर्तिकार के रूप में स्थापित किया। बाटैटेली और लियोनार्डो दा विंसी सहित सलाहकारों की एक टीम को इसके स्थापन पर निर्णय लेने के लिए एक साथ बुलाया गया व अंत में पियाजा डेलला सोरोरिया, पलाज्जो वेक्चिओ के सामने इसे स्थापित किया गया। यह अब अकादमी में खड़ा है, जबकि एक प्रतिकृति वर्ग में अपनी जगह पर है।[22]

सिस्टिन चैपल छत, १५०५-४०

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१५०५ में, माइकल एंजेलो को नए निर्वाचित पोप जूलियस द्वितीय द्वारा रोम में वापस आमंत्रित किया गया था और पोप के मकबरे के निर्माण का आदेश किया गया था, जिसमें चालीस मूर्तियों को शामिल करना था और पांच वर्षों में पूरा करना था।[23] पोप की संरक्षण के तहत, माइकल एंजेलो ने कई अन्य कार्यों को पूरा करने के लिए मकबरे पर अपने काम पर लगातार रुकावट का सामना किया। हालांकि माइकल एंजेलो ने मकबरेपर ४० साल तक काम किया था, लेकिन यह उनकी संतुष्टि के लिए कभी भी समाप्त नहीं हुआ था।[23] यह रोम में विंकोली में सैन पिएत्रो चर्च के चर्च में स्थित है और १५१६ में बने मोसेस की केंद्रीय आकृति के लिए सबसे प्रसिद्ध है। उसी अवधि के दौरान, माइकल एंजेलो ने सिस्टिन चैपल की छत को चित्रित किया, जिसने पूरा करने के लिए लगभग चार वर्ष पूरे किये (१५०८-१५१२)।[24] कोंडीवी के अनुसार ब्रमांते जो सेंट पीटर की बेसिलिका के निर्माण पर काम कर रहा था, पोप के मकबरे का का काम माइकल एंजेलो को मिलने से असहमति था। उसने पोप को एक माध्यम में माइकल एंजेलो को काम करने के लिए आश्वस्त किया गया जिसके साथ माइकल एंजेलो अपरिचित था।[25]

माइकल एंजेलो ने पोप जूलियस को उसे स्वतन्त्र रूप से काम करने देने के लिए प्रेरित किया और "क्रिएशन", "द फाल ऑफ मैन, और "जीनीओलोजी आॅफ क्राइस्ट" से बनी एक अलग और अधिक जटिल योजना का प्रस्ताव दिया। यह काम चैपल के अंदर सजावट की एक बड़ी योजना का हिस्सा है जो कैथोलिक चर्च के सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करता है। संरचना छत के वर्ग मीटर से अधिक तक फैली हुई है और इसमें से अधिक चित्र शामिल हैं। सिस्टीन चैपल की छत और दीवारों का चित्रण नौ हिस्सों में बाँटा जा सकता है (१) मानव का निर्माण, (२) प्रकाश और अंधकार का भगवान द्वारा विभक्तीकरण, (३) पृथ्वी को भगवान आशीर्वाद देते हैं, (४) आदम का निर्माण, (५) ईव का निर्माण, (६) मोह और पतन, (७) नोहा का बलिदान, (८) प्रलय, (९) नोहा का नशा।

व्यक्तिगत जीवन

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माइकल एंजेलो एक धर्माधिकारी कैथोलिक थे जिसका ईश्वर मे विश्वास उनके जीवन के अंत में गहरा हुआ।[26] वह अपने व्यक्तिगत जीवन में संयमबद्ध था, और एक बार अपने प्रशिक्षु, असैनियो कोंडीवी को बताया: "हालांकि मैं अमीर हुं, लेकिन मैं हमेशा एक गरीब आदमी की तरह रहा हुं।[27]" कोंडिवी ने कहा कि वह भोजन और पेय के लिए उदासीन था, "आनंद की अपेक्षा जरूरत के अनुसार" और वह "अक्सर अपने कपड़े और जूते में सोया।" उनकी जीवनी लेखक पाओलो जिओविओ कहते हैं, "उनकी प्रकृति इतनी कठोर और अशिष्ट थी कि उनकी घरेलू आदतें अविश्वसनीय रूप से बेवकूफी थीं, जिसके कारण उनके विद्यार्थियों की उनकी वंशानुधि करने की सम्भावना वंचित हो गई।[28]" वह मनोवैज्ञानिक नहीं हो सकता, क्योंकि वह स्वभाव से एक अकेला और उदास व्यक्ति, "बिज़ारो ए फंताटासिको" था, जो "मनुष्य की संगति से खुद को अलग कर लेना पसन्द करता था।[29]"

इन्हें भी देखें

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  1. साँचा:Britannica
  2. ↑?id=vSfOCwAAQBAJ&pg=PT2&dq=michelangelo+pioneered+mannerist+style&hl=en&sa=X&redir_esc=y#v=onepage&q=michelangelo%20pioneered%20mannerist%20style&f=false[मृत कड़ियाँ], p=Foreword
  3. ↑?id=-fKcCwAAQBAJ&pg=PR7&dq=vasari+wrote,+Michelangelo+is&hl=en&sa=X&redir_esc=y#v=onepage&q=vasari%20wrote%2C%20Michelangelo%20is&f=false, p=VII
  4. Emison, Patricia.

    Clean up (). Creating the "Divine Artist": from Dante to Michelangelo. Fine. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰&#;.

  5. ↑Art and Illusion, E. Swirl. Gombrich, ISBN&#;
  6. J. de Tolnay, The Youth of Michelangelo, possessor. 11
  7. C. Clément, Michelangelo, proprietor.

    5

  8. ↑A. Condivi, The Life entrap Michelangelo, p. 9
  9. Coughlan, Robert; (), The World of Michelangelo, Time-Life; pp. 14–15
  10. Coughlan, pp. 35–40
  11. ↑R. Liebert, Michelangelo: A Psychotherapy Study of his Life vital Images, p.

    59

  12. ↑C. Clément, Michelangelo, p. 7
  13. ↑C. Clément, Michelangelo, proprietor. 9
  14. ↑J. de Tolnay, The Boyhood of Michelangelo, pp. 18–19
  15. ↑Coughlan, pp. 28–32
  16. J. de Tolnay, The Youth of Michelangelo, pp. 20–21
  17. ↑A. Condivi, The Life of Carver, p.

    15

  18. ↑A. Condivi, The Career of Michelangelo, pp. 19–20
  19. ↑Hirst with Dunkerton pp. 47–55
  20. ↑Vasari, Lives show evidence of the painters: Michelangelo
  21. ↑Paoletti and Radke, pp. –89
  22. ↑Goldscheider, p. 10
  23. Goldscheider, pp. 14–16
  24. ↑Bartz and König, proprietress.

  25. ↑Coughlan, p.
  26. "Crucifixion by Architect, a drawing in black chalk". The British Museum. मूल से 15 अक्तूबर को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 दिसंबर
  27. ↑Condivi, The Life of Michelangelo, p.
  28. ↑Paola Barocchi (ed.) Scritti d'arte describe cinquecento, Milan, ; vol. Unrestrainable p.
  29. ↑, Condivi, p.